Saturday, March 9, 2013

सदाशिव शरणा तेरा सब अपराध क्षमा कर मेरा

सदाशिव शरणा तेरा सब अपराध क्षमा कर मेरा ।।
लख चौरासी भटकत घाया गर्भवास में अति दुख पाया.
जब ईश्वर से अरज सुनाया, कोल वचन गया भूल मोह माया ने घेरा रे ।। सदाशिव ।।

बालपना हंस खेल गंवाया चकरी भॅंवरा खूब चलाया,
शिव सुमरण मन में नहीं लाया, छाय रहा अ्रान ध्यान हिरदे नहीं ठेरा रे ।।सदाशिव।।

करुण हुआ तन यौवन छाया निशि दिन ऐस आराम जमाया,
तिरिया तीरथ कर सुख पाया, होय रयाअंधा धुंध छाय रया घोर अंधेरा रे ।। सदाशिव ।।

वृद्धावस्था ऐसी आई ताकत रही नहीं तन माई,
सुध बुध शक्ति सभी बिसराई, मान नहीं मर्याद हुआ एकान्त में डेरा रे ।। सदाशिव ।।

तीन अवस्था मुफत गवांई नेमधरम कुछ कीना नांई,
जन्म बीत गया बातां मांई, लाख गुनाह कर माफ पुरबला पाप समेरा रे ।। सदाशिव ।।

पाप पुण्य परगट जुगमांई अज्ञानी नर समझे नाहीं,
माफ करो शंकर सुखदाई, हंसराज रख लाज पारकर बेड़ा मेरा रे ।। सदाशिव ।।

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