जय महेश जय जय त्रिलोचन ।
भगत त्रास त्रय ताप विमोचन ।।
आशुतोष जय जलज विलोचन ।
भव सम्भव दारुण दुःख मोचन ।।
जयति जयति जय जय त्रिपुरारी ।
दनुज देव सेवक नर नारी ।।
विश्वनाथ जय जय जग कर्ता ।
आदिदेव पालक संहर्ता ।।
जय गंगाधर जय अहि भूषण ।
विगत विकार रहित सब दूषण ।।
जगदगुरु जय जगत विभूषण ।
धारत सरिस सुता गिरि भूषण ।।
जयति दयाकर सर्वस दाता ।
समरथ सदा दीन हित राता ।।
वेद पुराण जगत यश जागै ।
संतोष भगति रघुपति की मागै ।।
भगत कामतरु करुणाधाम काशीनाथ विश्वम्भरं ।
दीनानाथ धरु मम सिर हाथ पाहि शंकर उमा वरं ।।
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