Thursday, June 6, 2013

शिव अदभुत रूप बानाए, जब ब्याह रचाने आए

शिव अदभुत रूप बानाए, जब ब्याह रचाने आए,
भुत बेताल थे, सब्ग में चंडाल थे।
कैसी बारात सिव सजाए, जब ब्याह रचाने आए।
लंगड़े-लूले थे, अंधे-काणे भी थे,
शुक्र-शनिचर को भी संग लाये, जब ब्याह रचाने आए।
आए सब देवता, पाए जब देवता,
देवियों को भी संग में लाए, जब ब्याह रचाने आए।
लोग डरने लगे और यह कहने लगे,
रूप कैसा गजब बानाए, जब ब्याह रचाने आए।
बोलो सत्यम, शिवम् है वही सुन्दरम,
गोरा के मन को भाए शिव अदभुत रूप बानाए।

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