Monday, April 1, 2013

कल्पतरु पुण्यात्मा प्रेम सुधा शिव नाम हितकारक संजीवनी शिव चिंतन अविराम

कल्पतरु पुण्यात्मा प्रेम सुधा शिव नाम 
हितकारक संजीवनी शिव चिंतन अविराम 
पतित पावन जैसे मधु शिव रस नाके घोल 
भक्ति के हंसा ही चुगे मोंती यह अनमोल 
जैसे तनिक सुहागा सोने को चमकाए 
शिव सुमिरंसे आत्मा अदबुदथ निखरी जाये 
जैसे चन्दन वृष को दंसते नहीं है नाग 
शिव भक्तो के चोले को कभी लगे ना दाग 
ॐ नम शिवाय (2)

दया निधि भूतेश्वर शिव है चतुर सुजन 
कण कण भीतर है बसे नीलकंठ भगवान् 
चंद्रचूड के नेत्र उमापति विश्वेश 
शर्नागैत के यह सदा पके सकल अनेक 
शिव द्वारे प्रपंच का छल नहीं सकता खेल 
आग और पानी का जैसे होता नहीं है मेल 
भयाभंजना नटराज है डमरू वाले नाथ 
शिव का वंदन जो करे शिव है उनके साथ 
ॐ नम शिवाय (2)

लाखो अश्वादमेध हो सो गंगा अस्नान 
इनसे उत्तम है कही शिव चरणों का ध्यान 
अलख निरंजन नाथसे उपजे आत्मा ग्यान 
भटके को रास्ता मिले मुशकिl हो आसान 
अमर गुणों की खान है चित शुधि शिव ध्यान 
सत संगती में बैठके करलो प्रस्च्याताप 
लिंगेश्वर के मननसे सिद्ध हो जाते काज 
नमो शिवाय रटता जा शिव रखेंगे लाज 
ॐ नम शिवाय (2)

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