Friday, August 6, 2010

ऐसे करें भगवान शिव की पूजा

भगवान शिव की पूजा-अर्चना का महीना श्रावण

ऐसे करें भगवान शिव की पूजा

भगवान शिव की पूजा-अर्चना का महीना श्रावण मास शुरू हो गया है। शिवालयों में इसके लिए विशेष तैयारियाँ की गई हैं। सोमवार को अलसुबह से ही शिवालयों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने लगेगी तथा बम-बम भोले से मंदिर गुंजायमान होंगे।

इस बार सावन के पाँच सोमवार पड़ने से सावन मास का विशेष महत्व और भी बढ़ गया है। जिसमें तीन कृष्ण पक्ष और दो शुक्ल पक्ष में होंगे। ज्योतिर्विद हिंगे के अनुसार शिव के त्रिशूल की एक नोक पर काशी विश्वनाथ की नगरी का भार है। उसमें श्रावण मास भी अपना विशेष महत्व रखता है। इसलिए श्रावण का महीना अधिक फल देने वाला होता है।

इस मास के प्रत्येक सोमवार को शिवलिंग पर शिवामुट्ठी चढ़ाई जाती है। जिसमें प्रथम सोमवार को कच्चे चावल एक मुट्ठी, दूसरे सोमवार को सफेद तिल्ली एक मुट्ठी, तीसरे सोमवार को खड़े मूँग की एक मुट्ठी, चौथे सोमवार को जौ एक मुट्ठी और पाँचवें सोमवार को सतुआ चढ़ाने जाते हैं।

पं. हिंगे के अनुसार महिलाएँ श्रावण मास में विशेष पूजा-अर्चना एवं व्रत अपने पति की लंबी आयु के लिए करती हैं। सभी व्रतों में सोलह सोमवार का व्रत श्रेष्ठ है। इस व्रत को वैशाख, श्रावण, कार्तिक और माघ मास में किसी भी सोमवार से प्रारंभ किया जा सकता है। इस व्रत की समाप्ति सत्रहवें सोमवार को सोलह दंपति को भोजन व किसी वस्तु का दान देकर उद्यापन किया जाता है।

श्रावण माह में एक बिल्वपत्र शिव को चढ़ाने से तीन जन्मों के पापों का नाश होता है। एक अखंड बिल्वपत्र अर्पण करने से कोटि बिल्वपत्र चढ़ाने का फल प्राप्त होता है।

भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने के लिए शिव को कच्चा दूध, सफेद फल, भस्म तथा भाँग, धतूरा, श्वेत वस्त्र अधिक प्रिय है। श्रावण मास में शिवभक्तों द्वारा शिवपुराण, शिवलीलामृत, शिव कवच, शिव चालीसा, शिव पंचाक्षर मंत्र, शिव पंचाक्षर स्त्रोत, महामृत्युंजय मंत्र का पाठ एवं जाप किया जाता है। श्रावण मास में इसके करने से अधिक फल प्राप्त होता है।
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