Sunday, April 25, 2010

AARTI - JAI SHIV OMKARA

जयशिव ओमकारा, प्रभु जय शिव ओमकारा,
ब्रह्म विष्णु सदाशिव अर्धांगी धारा,
ॐ हर हर महादेव...

एकाना, चतुरानन, पंचना राजे, 
हंसन गरुदासन वृषवाहन सजे,
ॐ हर हर महादेव॥

दो भुज, चारु चतुर्भाऊ देशमुख अति सोहे,
तीनों रूप निरखते त्रिभुवन जन्मोहे,
ॐ हर हर महादेव॥

अक्श्यमाला बनमाला मुन्द्मल धरी,
चंदन मृगमद सोहाई, भले शुभकारी,
ॐ हर हर महादेव॥

श्वेताम्बर पीताम्बर बगाम्बर अंगे,
ब्रह्मादिक सनकादिक प्रेतादिक संगे,
ॐ हर हर महादेव॥

कर मध्ये कमंदालू औ त्रिशूल भरी,
सुखकारी दुखाहरी जग्पलानकारी,
ॐ हर हर महादेव॥

ब्रह्म विष्णु सदाशिव जानत अविवेका,
प्रनावाक्षर में शोभित ये तीनों एक,
ॐ हर हर महादेव॥

त्रिगुण स्वामी की आरती जो कोई नर गवे
काहत शिवानन्द स्वामी मन वांछित फल पावे।
ॐ हर हर महादेव॥
ॐ हर हर महादेव॥
ॐ हर हर महादेव॥
ॐ हर हर महादेव॥
ॐ हर हर महादेव॥

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