Sunday, April 27, 2014

श्री शिवाष्टक स्तोत्रं संपूर्णम्‌

जय शिवशंकर, जय गंगाधर, करुणा-कर करतार हरे,
जय कैलाशी, जय अविनाशी, सुखराशि, सुख-सार हरे
जय शशि-शेखर, जय डमरू-धर जय-जय प्रेमागार हरे,
जय त्रिपुरारी, जय मदहारी, अमित अनन्त अपार हरे,
निर्गुण जय जय, सगुण अनामय, निराकार साकार हरे।
पार्वती पति हर-हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे॥

जय रामेश्वर, जय नागेश्वर वैद्यनाथ, केदार हरे,
मल्लिकार्जुन, सोमनाथ, जय, महाकाल ओंकार हरे,
त्र्यम्बकेश्वर, जय घुश्मेश्वर भीमेश्वर जगतार हरे,
काशी-पति, श्री विश्वनाथ जय मंगलमय अघहार हरे,
नील-कण्ठ जय, भूतनाथ जय, मृत्युंजय अविकार हरे।
पार्वती पति हर-हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे॥

जय महेश जय जय भवेश, जय आदिदेव महादेव विभो,
किस मुख से हे गुरातीत प्रभु! तव अपार गुण वर्णन हो,
जय भवकार, तारक, हारक पातक-दारक शिव शम्भो,
दीन दुःख हर सर्व सुखाकर, प्रेम सुधाधर दया करो,
पार लगा दो भव सागर से, बनकर कर्णाधार हरे।
पार्वती पति हर-हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे॥

जय मन भावन, जय अति पावन, शोक नशावन,
विपद विदारन, अधम उबारन, सत्य सनातन शिव शम्भो,
सहज वचन हर जलज नयनवर धवल-वरन-तन शिव शम्भो,
मदन-कदन-कर पाप हरन-हर, चरन-मनन, धन शिव शम्भो,
विवसन, विश्वरूप, प्रलयंकर, जग के मूलाधार हरे।
पार्वती पति हर-हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे॥

भोलानाथ कृपालु दयामय, औढरदानी शिव योगी, सरल हृदय,
अतिकरुणा सागर, अकथ-कहानी शिव योगी, निमिष में देते हैं,
नवनिधि मन मानी शिव योगी, भक्तों पर सर्वस्व लुटाकर, बने मसानी
शिव योगी, स्वयम्‌ अकिंचन,जनमनरंजन पर शिव परम उदार हरे।
पार्वती पति हर-हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे॥

आशुतोष! इस मोह-मयी निद्रा से मुझे जगा देना,
विषम-वेदना, से विषयों की मायाधीश छड़ा देना,
रूप सुधा की एक बूँद से जीवन मुक्त बना देना,
दिव्य-ज्ञान- भंडार-युगल-चरणों को लगन लगा देना,
एक बार इस मन मंदिर में कीजे पद-संचार हरे।
पार्वती पति हर-हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे॥

दानी हो, दो भिक्षा में अपनी अनपायनि भक्ति प्रभो,
शक्तिमान हो, दो अविचल निष्काम प्रेम की शक्ति प्रभो,
त्यागी हो, दो इस असार-संसार से पूर्ण विरक्ति प्रभो,
परमपिता हो, दो तुम अपने चरणों में अनुरक्ति प्रभो,
स्वामी हो निज सेवक की सुन लेना करुणा पुकार हरे।
पार्वती पति हर-हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे॥

तुम बिन ‘बेकल’ हूँ प्राणेश्वर, आ जाओ भगवन्त हरे,
चरण शरण की बाँह गहो, हे उमारमण प्रियकन्त हरे,
विरह व्यथित हूँ दीन दुःखी हूँ दीन दयालु अनन्त हरे,
आओ तुम मेरे हो जाओ, आ जाओ श्रीमंत हरे,
मेरी इस दयनीय दशा पर कुछ तो करो विचार हरे।
पार्वती पति हर-हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे॥

॥ इति श्री शिवाष्टक स्तोत्रं संपूर्णम्‌ ॥

अर्धनारीश्वरस्तोत्रम

चांपेयगौरार्ध शरीरकायै कर्पूरगौरार्ध शरीरकाय ।
धम्मिल्लकायै च जटाधराय नमः शिवायै च नमः शिवाय ॥

कस्तूरिका कुंकुमचर्चितायै चितारजःपुञ्जविचर्चिताय ।
कृतस्मरायै विकृतस्मराय नमः शिवायै च नमः शिवाय ॥

झणत्क्वणत्कंकण नूपुरायै पादाब्जराजत्फणिनूपुराय ।
हेमाङ्गदायै भुजगाङ्गदाय नमः शिवायै च नमः शिवाय ॥

विशालनीलोत्पललोचनायै विकासिपङ्केरुहलोचनाय ।
समेशणायै विषमेशणाय नमः शिवायै च नमः शिवाय ॥

मन्दारमालाकलितालकायै कपालमालाङ्कितकन्धराय ।
दिव्यांबरायै च दिगंबराय नमः शिवायै च नमः शिवाय ॥

अंभोधरश्यामलकुंतलायै तटित्प्रभाताम्रजटाधराय ।
निरीश्वरायै निखिलेश्वराय नमः शिवायै च नमः शिवाय ॥

प्रपञ्चसृष्ट्युन्मुखलास्यकायै समस्तसंहारकताण्डवाय ।
जगज्जनन्यै जगदेकपित्रे नमह शिवायै च नमः शिवाय ॥

प्रदीप्तरत्नोज्ज्वलकुण्डलायै स्फुरन्महापन्नगभूषणाय ।
शिवान्वितायै च शिवान्विताय नमः शिवायै च नमः शिवाय ॥

एतत्पठेदष्टकमिष्टदं यो भक्त्या स मान्यो भुवि दीर्घजीवी ।
प्राप्नोति सौभाग्यमनन्तकालं भूयात सदा तस्य समस्तसिद्दिः ॥

। इति श्री शङ्कर भगवत्पाद विरचितम अर्धनारीश्वरस्तोत्रम ।

झूठी दुनिया से मन को हटाले ध्यान भोले जी के चरणों में लगा ले

झूठी दुनिया से मन को हटाले
ध्यान भोले जी के चरणों में लगा ले 
नसीबा तेरा जाग जाएगा, नसीबा तेरा जाग जाएगा.

झूठे संसार का तो चलना अनोखा है
पग पग मिले यहाँ धोखा ही धोखा है
भोले बाबा को तू अपना बना ले

माल तेरे पास है तोह माल तेरा खायेंगे
हुआ जो ख़तम तोह नजर नही आयेंगे
डमरू वाले से तू प्रीत लगा ले

सच्चा है दरबार यहाँ बम भोले का
मिलता है प्यार यहाँ बम भोले का
भोले बाबा के तू दर्शन पा ले 
नसीबा तेरा जाग जाएगा.

भोले कैसे करूं मैं तेरी सेवा, शम्भू कैसे करूं मैं तेरी सेवा

गले में नागो की माला जट्टो में गंगा जी की धारा महादेवा 
भोले कैसे करूं मैं तेरी सेवा, शम्भू कैसे करूं मैं तेरी सेवा

दिल करता है जल मैं चडाऊ, जल लेने को नदियों में जाऊ 
नदिया देने को तेयार मछली करती है इनकार महादेवा 
भोले कैसे करूं मैं तेरी सेवा, शम्भू कैसे करूं मैं तेरी सेवा

दिल करता है दूध मैं चडाऊ, दूध लेने को गॊशाला जाऊ 
गैया देने को तेयार बछड़ा करता है इनकार महादेवा 
भोले कैसे करूं मैं तेरी सेवा, शम्भू कैसे करूं मैं तेरी सेवा

दिल करता है फूल मैं चडाऊ, फूल लेने को बागो में जाऊ 
फूल आने को तेयार भंवरा करता है इनकार महादेवा 
भोले कैसे करूं मैं तेरी सेवा, शम्भू कैसे करूं मैं तेरी सेवा

दिल करता है फल मैं चडाऊ, फल लेने को बागो में जाऊ 
फल आने को तेयार तोता करता है इनकार महादेवा 
भोले कैसे करूं मैं तेरी सेवा, शम्भू कैसे करूं मैं तेरी सेवा

जय महेश जय जय त्रिलोचन । भगत त्रास त्रय ताप विमोचन ।।

जय महेश जय जय त्रिलोचन । 
भगत त्रास त्रय ताप विमोचन ।।

आशुतोष जय जलज विलोचन । 
भव सम्भव दारुण दुःख मोचन ।।

जयति जयति जय जय त्रिपुरारी । 
दनुज देव सेवक नर नारी ।।

विश्वनाथ जय जय जग कर्ता । 
आदिदेव पालक संहर्ता ।।

जय गंगाधर जय अहि भूषण । 
विगत विकार रहित सब दूषण ।।

जगदगुरु जय जगत विभूषण । 
धारत सरिस सुता गिरि भूषण ।।

जयति दयाकर सर्वस दाता । 
समरथ सदा दीन हित राता ।।

वेद पुराण जगत यश जागै । 
संतोष भगति रघुपति की मागै ।। 

भगत कामतरु करुणाधाम काशीनाथ विश्वम्भरं ।
दीनानाथ धरु मम सिर हाथ पाहि शंकर उमा वरं ।।