Tuesday, April 16, 2013

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जागो हे महा काल, जागो जीवन आधार - Jago Hey Mahakal, Jago Jeevan Aadhar

जागो हे महा काल, जागो जीवन आधार,
भस्म करो पापी के पाप को,
धरती पुकारे प्रभु आपको ।

तुम को जगा रहा नीला गगन ।
तुम को जगाये प्रभु पूरा पवन ॥

कंदों पे नुसत धरो, डमरू पे ताल दो ।
तीसरे नयन की आज ज्वाला निकाल दो ॥

फूंक दो यह कष्टों की कालिमा ।
भर दो कानो में नयी लालिमा ॥

बिगड़ी मेरी बना दो, दुःख दर्द सब मिटा दो - Bigdi Meri Bana Do, Dukh-Dard Sab Mita Do

बिगड़ी मेरी बना दो, दुःख दर्द सब मिटा दो,
दुःख सब के हरने वाले, मेरे बाबा भोले भाले।
मेरे शम्बू भोले भाले, मेरे बाबा भोले भाले॥

कोई भूल हो गयी हो, मेरे स्वामी माफ़ करना।
सेवक हैं हम तो तेरे, तुम दाता हो हमारे॥

दुःख संकटों से बाबा मुश्किल में घिर रहा हूँ।
शम्भू मुझे बचालो, मैं शरण में तुम्हारी॥

विषपान कर के तुने देवों को था बचाया।
कृपा का दान देकर, निर्बल को बचा लो॥

सदीओं से मेरे बाबा, द्वारे तेरे पड़ा हूँ।
गोदी में अब उठालो, पड़ा चरणों में तुम्हारे॥

मेरा रोम रोम बोले, हर हर महादेव भोले - Mera Rom Rom Bole, Har Har Mahadev Bhole

मेरा रोम रोम बोले, हर हर महादेव भोले
हर हर महादेव भोले, हर हर महादेव भोले

भक्तन के रक्वाले तुमरी महिमा अपरम्पार
शरण जो आए उसकी नैया पार हो बिन पतवार
तुम चाहो तो गूगा गाए अँध नयन खोले
हर हर महादेव भोले...

बिगड़े काम बनाने वाले तुम हो दीनदयाला 
मन चाह फल पाए तुमरी पूजा करना वाला
उसके सारे पाप कटे जो शंकर का होले
हर हर महादेव भोले...

Friday, April 5, 2013

Shiv adbhut roop banaye, jab byaah rachane aaye

Shiv adbhut roop banaye, jab byaah rachane aaye,
bhut betal the, sabg me chandal the।
kaisi baarat siv sajaye, jab byaah rachane aaye।
langade-lule the, andhe-kaane bhi the,
shukar-shanichar ko bhi sang laaye, jab byaah rachane aaye।
aaye sab devta, paaye jab devta,
deviyo ko bhi sang me laaye, jab byaah rachane aaye।
log darne lage aur yeh kahne lage,
roop kaisa gajab banaye, jab byaah rachaane aaye।
bolo satayam, shivam hai vahi sunderam,
gora ke man ko bhaye shiv adbhut roop banaye।

शिव अदभुत रूप बानाए, जब ब्याह रचाने आए,
भुत बेताल थे, सब्ग में चंडाल थे।
कैसी बारात सिव सजाए, जब ब्याह रचाने आए।
लंगड़े-लूले थे, अंधे-काणे भी थे,
शुक्र-शनिचर को भी संग लाये, जब ब्याह रचाने आए।
आए सब देवता, पाए जब देवता,
देवियों को भी संग में लाए, जब ब्याह रचाने आए।
लोग डरने लगे और यह कहने लगे,
रूप कैसा गजब बानाए, जब ब्याह रचाने आए।
बोलो सत्यम, शिवम् है वही सुन्दरम,
गोरा के मन को भाए शिव अदभुत रूप बानाए।

he bhole naath daya karke, ab mujhe basa lo charnan me

he bhole naath daya karke, ab mujhe basa lo charnan me।
fal-ful ki thali laai hu, charno me tumahre aai hu,
tumhe apne basa kar nainn me, ab mujhe basa lo charnan me। he bhole...
belpaat ki thali laai hu, darshan kotumhare hu,
tumhe dekh lu man ke darpan me, ab mujhe basa lo charnan me। he bhole...
me bhang dhatura laai hu, me dar-dar ki thukaraai hu,
mujhe de do sharan bas charannnme, ab mujhe basa lo charnan me।he bhole...
tera naam ka sumiran karti hu, yahi ro-ro kar bus kehti hu,
tere darshan ki pyaas hai akhiyan me, ab mujhe basa lo charnan me।he bhole...
tera prem hamari puja hai, koi aur naa man me duja hai,
tu chhipe hai man ki bagiyan me, ab mujhe basa lo charnan me। he bhole...

हे भोले नाथ दया करके, अब मुझे बसा लो चरणन में।
फल-फुल की थाली लाइ हु, चरणों में तुम्हरे आई हू,
तुम्हे अपने बसा कर नैनं में, अब मुझे बसा लो चरणन में। हे भोले...
बेल पात की थाली लाइ हू, दर्शन कोतुम्हारे हू,
तुम्हे देख लू मन के दर्पण में, अब मुझे बसा लो चरणन में। हे भोले...
में भंग धतूरा लाइ हू, में दर-दर की ठुकराई हू,
मुझे दे दो शरण बस चरणन में, अब मुझे बसा लो चरणन में। हे भोले...
तेरा नाम का सुमिरन करती हू, यही रो-रो कर बस कहती हू,
तेरे दर्शन की प्यास है अखियन में, अब मुझे बसा लो चरणन में। हे भोले...
तेरा प्रेम हमारी पूजा है, कोई और ना मन में दूजा है,
तू छिपे है मन की बगियन में, अब मुझे बसा लो चरणन में। हे भोले...

bhole baba ke dwar gai, jo mangi sab paa gai

bhole baba ke dwar gai, jo mangi sab paa gai,
me to gai thi shiv darshan ko, bum bhole shiv ki pujan ko,
mujhpe unki daya ho gai, jo maangi sab paa gai।
vinti karu bhole bandari, aai sharan me aaj tumhari,
me to jeevan se ghabra gai, jo maangi sab paa gai।
sab devo me dev nirale, pahne rehte hai mrug ki chhale,
mere dukh ki ghadi tal gai, jo maangi sab paa gai।
bhid lagi hai tumhare dware, log khade hai haath pasaare,
ek kshan bhi na der bhai, jo mangi sab paa gai।

भोले बाबा के द्वार गई, जो मांगी सब पा गई,
में तो गई थी शिव दर्शन को, बूम भोले शिव की पूजन को,
मुझपे उनकी दया हो गई, जो मांगी सब पा गई।
विनती करू भोले भण्डारी, आई शरण में आज तुम्हारी,
में तो जीवन से घबरा गई, जो मांगी सब पा गई।
सब देवो में देव निराले, पहने रहते है मृग की छाले,
मेरे दुःख की घडी टल गई, जो मांगी सब पा गई।
भीड़ लगी है तुम्हारे द्वारे, लोग खड़े है हाथ पसारे,
एक क्षण भी न देर भई, जो मांगी सब पा गई।

Thursday, April 4, 2013

श्री उमा महेश्वर स्तोत्रं

""श्री उमा महेश्वर स्तोत्रं ""

नमः शिवाभ्यां नवयौवनाभ्यां
परस्पराश्लिष्टवपुर्धराभ्याम् ।
नगॆन्द्रकन्यावृषकॆतनाभ्यां
नमॊ नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥ 1 ॥

नमः शिवाभ्यां सरसॊत्सवाभ्यां
नमस्कृताभीष्टवरप्रदाभ्याम् ।
नारायणॆनार्चितपादुकाभ्यां
नमॊ नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥ 2 ॥

नमः शिवाभ्यां वृषवाहनाभ्यां
विरिञ्चिविष्ण्विन्द्रसुपूजिताभ्याम् ।
विभूतिपाटीरविलॆपनाभ्यां
नमॊ नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥ 3 ॥

नमः शिवाभ्यां जगदीश्वराभ्यां
जगत्पतिभ्यां जयविग्रहाभ्याम् ।
जम्भारिमुख्यैरभिवन्दिताभ्यां
नमॊ नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥ 4 ॥

नमः शिवाभ्यां परमौषधाभ्यां
पञ्चाक्षरीपञ्जररञ्जिताभ्याम् ।
प्रपञ्चसृष्टिस्थितिसंहृताभ्यां
नमॊ नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥ 5 ॥

नमः शिवाभ्यामतिसुन्दराभ्यां
अत्यन्तमासक्तहृदम्बुजाभ्याम् ।
अशॆषलॊकैकहितङ्कराभ्यां
नमॊ नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥ 6 ॥

नमः शिवाभ्यां कलिनाशनाभ्यां
कङ्कालकल्याणवपुर्धराभ्याम् ।
कैलासशैलस्थितदॆवताभ्यां
नमॊ नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥ 7 ॥

नमः शिवाभ्यामशुभापहाभ्यां
अशॆषलॊकैकविशॆषिताभ्याम् ।
अकुण्ठिताभ्यां स्मृतिसम्भृताभ्यां
नमॊ नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥ 8 ॥

नमः शिवाभ्यां रथवाहनाभ्यां
रवीन्दुवैश्वानरलॊचनाभ्याम् ।
राकाशशाङ्काभमुखाम्बुजाभ्यां
नमॊ नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥ 9 ॥

नमः शिवाभ्यां जटिलन्धराभ्यां
जरामृतिभ्यां च विवर्जिताभ्याम् ।
जनार्दनाब्जॊद्भवपूजिताभ्यां
नमॊ नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥ 10 ॥

नमः शिवाभ्यां विषमॆक्षणाभ्यां
बिल्वच्छदामल्लिकदामभृद्भ्याम् ।
शॊभावतीशान्तवतीश्वराभ्यां
नमॊ नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥ 11 ॥

नमः शिवाभ्यां पशुपालकाभ्यां
जगत्रयीरक्षणबद्धहृद्भ्याम् ।
समस्तदॆवासुरपूजिताभ्यां
नमॊ नमः शङ्करपार्वतीभ्याम् ॥ 12 ॥

स्तॊत्रं त्रिसन्ध्यं शिवपार्वतीभ्यां
भक्त्या पठॆद्द्वादशकं नरॊ यः ।
स सर्वसौभाग्यफलानि
भुङ्क्तॆ शतायुरान्तॆ शिवलॊकमॆति ॥ 13 ॥

Monday, April 1, 2013

कल्पतरु पुण्यात्मा प्रेम सुधा शिव नाम हितकारक संजीवनी शिव चिंतन अविराम

कल्पतरु पुण्यात्मा प्रेम सुधा शिव नाम 
हितकारक संजीवनी शिव चिंतन अविराम 
पतित पावन जैसे मधु शिव रस नाके घोल 
भक्ति के हंसा ही चुगे मोंती यह अनमोल 
जैसे तनिक सुहागा सोने को चमकाए 
शिव सुमिरंसे आत्मा अदबुदथ निखरी जाये 
जैसे चन्दन वृष को दंसते नहीं है नाग 
शिव भक्तो के चोले को कभी लगे ना दाग 
ॐ नम शिवाय (2)

दया निधि भूतेश्वर शिव है चतुर सुजन 
कण कण भीतर है बसे नीलकंठ भगवान् 
चंद्रचूड के नेत्र उमापति विश्वेश 
शर्नागैत के यह सदा पके सकल अनेक 
शिव द्वारे प्रपंच का छल नहीं सकता खेल 
आग और पानी का जैसे होता नहीं है मेल 
भयाभंजना नटराज है डमरू वाले नाथ 
शिव का वंदन जो करे शिव है उनके साथ 
ॐ नम शिवाय (2)

लाखो अश्वादमेध हो सो गंगा अस्नान 
इनसे उत्तम है कही शिव चरणों का ध्यान 
अलख निरंजन नाथसे उपजे आत्मा ग्यान 
भटके को रास्ता मिले मुशकिl हो आसान 
अमर गुणों की खान है चित शुधि शिव ध्यान 
सत संगती में बैठके करलो प्रस्च्याताप 
लिंगेश्वर के मननसे सिद्ध हो जाते काज 
नमो शिवाय रटता जा शिव रखेंगे लाज 
ॐ नम शिवाय (2)