Friday, March 8, 2013

ओम नमः शिवाय ओम नमः शिवाय

ओम नमः शिवाय ओम नमः शिवाय 
 
मेरे मन कहाँ खोया तू, शिव को मनाले तू,
चैन तुझे मिल जायेगा, बात ये जानले तू,
 
 वो है अन्तर्यामी, जग के स्वामी, सबके पालनकर्ता,
मितवा शरण मे उनकी जा, मितवा सुन लेगे तेरी सदा॥
 
बहती शंकर के जटा मे गंगा है – 2
धो देती पाप हो जाता मन चंगा है,
जो इन्हे पूजता है, भक्ति मे डूबता है – 2,
रहती जिन्दगी मे कमी कोई नही,
शिव कैलाशी है देव अविनाशी है,
कृपा से इनकी टल जाती यमफाँसी है,
खबर सबकी है इनसे नही कुछ छिपा॥१॥
 
 देकर अमृत खुद जहर पी डाला – 2,
तब नीलकण्ठ महादेव कहलाया,
भस्मासुर को दिया भस्मी कंगन – 2,
तब शिव भोला–भाला कहलाया,
आदि अनादि शिव जग का रखवाला है,
थोड़े मे होके खुश वर देने वाला है,
सब देवो से निराला ऐसा नही देव दूजा,
  काटलो जंजाल करके इनकी पूजा॥२॥

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