Saturday, March 9, 2013

मेरे मन बनकर तू डमरू करता जा डम-डम-डम

मेरे मन बनकर तू डमरू करता जा डम-डम-डम
तेरी डम -डम में गूंजेंगी मेरे भोले की बम-बम
मेरे मन बनकर तू डमरू करता जा डम-डम-डम

मेरा भोला सब भक्तों के है सारे कष्ट मिटाता
वो भक्तों की रक्षा हित है कालकूट पी जाता
मेरी जिह्वा करती चल तू शिव महिमा का ही वर्णन
मेरे मन बनकर तू डमरू करता जा डम-डम-डम
 
 मेरा भोला कितना भोला नागों का हार पहनता
वो जटाजूट में अपने गंगा को धारण करता
मैं कण -कण में करती हूँ शिव-शंकर का ही दर्शन .
मेरे मन बनकर तू डमरू करता जा डम-डम-डम

सावन में कांवड़ लेकर जो गंगाजल लेने जाते
लाकर शिवलिंग पर उसको श्रृद्धा सहित चढाते
हर इच्छा पूरी होती पावन हो जाता जीवन .
मेरे मन बनकर तू डमरू करता जा डम-डम-डम
 
 द्वादश ज्योतिर्लिंगों में शिव -शक्ति ज्योत समाई ;
इनके दर्शन से भक्तों ने भय से मुक्ति पाई ;
गौरी-शंकर के चरणों में तन -मन-धन सब अर्पण
मेरे मन बनकर तू डमरू करता जा डम-डम-डम

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