Tuesday, October 2, 2012

सोमवार की आरती

सोमवार की आरती

जय शिव ओंकारा, भज शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव अद्र्धागी धारा॥ 
हर हर हर महादेव॥

एकानन, चतुरानन, पंचानन राजै।
हंसासन, गरुड़ासन, वृषवाहन साजै॥
हर हर हर महादेव॥

दो भुज चारु चतुर्भुज, दशभुज ते सोहे।
तीनों रूप निरखता, त्रिभुवन-जन मोहे॥
हर हर हर महादेव॥

अक्षमाला, वनमाला, रुण्डमाला धारी।
त्रिपुरारी, कंसारी, करमाला धारी॥
हर हर हर महादेव॥

श्वेताम्बर, पीताम्बर, बाघाम्बर अंगे।
सनकादिक, गरुड़ादिक, भूतादिक संगे॥ 
हर हर हर महादेव॥

कर मध्ये सुकमण्डलु, चक्र शूलधारी।
सुखकारी, दुखहारी, जग पालनकारी॥
हर हर हर महादेव॥

ब्रह्माविष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
प्रणवाक्षर में शोभित ये तीनों एका॥
हर हर हर महादेव॥

त्रिगुणस्वामिकी आरती जो कोई नर गावै।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवान्छित फल पावै॥
हर हर हर महादेव॥

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